________________ चौरका हाल सुन लेता है और कोटवाल के घरमें चोरी करता है और उनकी ओरत, बाल-बच्चों के बूरे हाल करता है, कोटवाल घर जाकर जब चोरीका हाल सुनता ही मूर्छित हो जाता है। बाद में भट्टमात्र चोरको पकडनेकी प्रतिज्ञा करता है। देवकुमार गुप्त रूपसे उसको भी मीलता है, भट्टमात्रको भी बेडीमें फँसा देता है / जिसका एसा हाल सुनकर राजा भी आश्वासन देता है। ___ यह साराही प्रकरण देवकुमार के पराक्रमसे परिपूर्ण और रोमांचक है और भी आगे के प्रकरणमें देखिये। प्रकरण उन्नीसवाँ . . . . पृष्ठ 207 से 223 तक तीव्रबुद्धिका परिचय चोर के प्रतिदिन पराक्रम बढते हुए और प्रजाकी रंजाड देखकर राजाने नगरमें पटँह बजवाया, जिसका स्पर्श वेश्याने किया, देवकुमार शेठ बनता है और वेश्याओंका नृत्य देखता है, वेश्याएँ अचेतन होकर गिर जाती है, बादमें चोर सार्थवाह बनकर वेश्याओं को महादेवके मंदिर के कूपके अरहट्ट के साथ नग्न करके बांध देता है, प्रातःकाल पूजारी जल भरने को आता है और यह बात राजाके पास पहुँचती है और राजा आदि आकर उसको छुडाते है / बादमें कोई घतकार चौर . पकडने की प्रतिज्ञा करता है, उसको भी वह मुंडन कराकर तलावमें स्नान कराने के बहाने से दुर्दशा करता है। इस प्रकार यह प्रकरण भी चोरकी चालाकीसे परिपूर्ण हुआ / Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org