________________ मुनि निरंजनविजयसंयोजित आदि वाले भयंकर जंगल में ले गया। एक वृक्ष के नीचे जाकर घोडा रुका और विक्रमादित्य जब उस पर से नीचे उतरा, कि तुरंत ही वह सुकुमार घोडा अत्यन्त थकावट के मारे वहीं मर गया। - राजा विक्रमादित्य अश्व को एकाएक मरा हुआ देख कर तथा धूप और पिपासा से अत्यन्त पीडित होकर मूर्छित हो गया और सुके वृक्ष की तरह शीव्र ही पृथ्वी पर गिर गये। * राजा के पूर्वकृत पुण्य प्रभाव से, कोई एक वनवासी भील घोड़े के पद चिह्नों को देखते देखते वहाँ आ पहुँचा। सब प्राणीयों का पुण्य से ही रक्षण होता है। उस वनवासी ने राजा विक्रमादित्य को बेहोश गिरा हुआ देखा और यह कोई महान् व्यक्ति है ऐसा सोच कर सरोवर से जल लाकर सिञ्चन करके उस राजा को होश में लाया / / S Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org