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________________ 304 विक्रम चरित्र शुभमती का रूपपरिवर्तन तथा वामनस्थली जाना भारप्ड पक्षियों की इस प्रकार की बातें सुनकर वह राजकुमारी शुभमती अत्यन्त प्रसन्न हुई / सुबह होने पर उसने वृक्ष के आजु बाजु गिरा हुआ भारण्ड का मल ले लिया और पुरुष वेष धारण करके घोड़े पर सवार होकर उस वृक्ष के नीचे से चल दी। उस राजकन्या ने अपना नाम 'आनन्द' रख लिया / क्रमसे वामनस्थली में एक माली के घर पर पहुँचकर तुम मेरी मामी हो, ऐसा कह कर प्रणाम पूर्वक एक बहुत सुन्दर बहु मूल्य रत्न उस माली की स्त्री को दिया / माली की स्त्री ने एक अत्यन्त सुन्दर कुमार को अपने यहाँ आया देख कर उसे भोजन तथा स्थान आदि देकर उसका बहुत आदर सत्कार किया। जब पटह बजता हुआ वहाँ आया तो उसे आते देख कर आनन्द कुमारने मालीन से पूछा कि 'यह पटह क्यों बजाया जा रहा है? उस माली ने पटह बजाने का हेतु कह सुनाया। आनन्द कुमारने कहा कि 'हे मालिन ! तुम वहाँ जा कर पटह का स्पर्श करो / ' मालिन ने पूछा कि 'क्या तुम में ऐसा सामर्थ्य है !! आनन्द कुमार ने कहा कि 'तुम अभी जाकर पटह का स्पर्श करो / जो होना है सो होगा। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004265
Book TitleMaharaj Vikram
Original Sutra AuthorShubhshil Gani
AuthorNiranjanvijay
PublisherNemi Amrut Khanti Niranjan Granthmala
Publication Year
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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