________________ mmmmmmmmmmwww. 296 विक्रम चरित्र से तुम्हारा अभिलषित-इच्छा पूर्ण होगी।' राजकुमारी की बात सुन कर वह किसान अत्यन्त प्रसन्न हुआ और उसे अपने खेत में ले गया / कुमारी को अपना वह खेत बतलाते हुए कहने लगा कि 'यह युगन्धरी खेत है / यह संसार को जीवन देने वाला है। यह वनक खेत है, जिससे सब प्रकार के वस्त्र बनते हैं। यह दूसरा चणक का क्षेत्र है, जो मनुष्यों को सतत सन्तोष देनेवाला है।' सिंह का अकेले घर जाना और राजकुमारी का गिरनार की और प्रयाण इस प्रकार कह कर दिव्य मनोवेग घोडा और राजकुमार के वस्त्रों के सहित राजकुमारी को खेत में ही छोड़कर स्वयं फटे हुए वस्त्र धारण करके अपने घर को चल दिया। घर पर जाकर वह किसान अपनी स्त्रीसे कहने लगा कि तुम ने अमुक कार्य मेरी इच्छानुसार नहीं किया यह अच्छा नहीं किया। तुम ने मेरे घर को इस समय सब प्रकार से विनष्ट कर दिया / इत्यादि बातें कहता हुआ बोला कि मैं विवाह करने के लिये एक अद्भुत रूपवती और लावण्यवती कन्या को ले आया हूँ।' इस प्रकार कर्कश वाणी द्वारा अनेक प्रकार से तिरस्कार करके उसे घर से निकाल दिया। तब वह स्त्री अपने पिता के घर चली गई / उसने एक ब्राह्मण को बुलाया तथा उसे विवाह की सब सामग्री से युक्त करके अपने खेत में उस नवीन कन्या से विवाह करने के लिये घर से निकला। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org