________________ 288 का विक्रम चरित्र राजकन्या की माता के पास गई / वहाँ जाकर बोली कि आपकी कन्या का सब श्रेष्टियों के घर पर विनोलक (भोजनादि सत्कार) हुआ है, अतः आज मेरे घर पर भी होना चाहिये। इस प्रकार अनेक युक्तियुक्त बातें कहकर महारानी को खुस किया तथा राजा की कन्या को अपने घर का गौरव बढाने के लिये अपने साथ ले आई। राजपुत्री से मिलन CHEN TAMILERTELLIA VIMIMILIAND INMEACLE घरमा का . DOLORE MAU SURANCE ALTIEaatatauSTAL intmNTIN GE जब वह राजकन्या लक्ष्मी के घर पहुंची, तो विक्रमचरित्र तथा राजाकी पुत्री दोनों परस्पर एक दूसरेका रूप देख कर तत्काल मूच्छित होकर गिर पड़े, इन दोनों को इस प्रकार मूर्छित देख कर लक्ष्मी बार बार अपने मन में विचारने लगी कि महारानी को मैं क्या उत्तर Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org