________________ 278 विक्रम चरित्र राजा के ऐसा कहने पर भट्टमात्र राजमहल में राजाजी के साथ गया और कन्या को देखा। भट्टमात्र ने कन्या को अच्छी तरह देखी और बोला कि 'विवाह का निश्चय करके अविलम्ब ही लम स्थिर कीजये / तब राजा ने ज्योतिषशास्त्र के अच्छे अच्छे विद्वानों को बुलाया तथा विवाह करने के लिए शुभ दिन का शोधन कराया। राजा महाबल जब भट्टमात्र से पाणिग्रहण के लिये शुभ दिन का निश्चय करने लगे, इतने में महाबल का मंत्री जो वर को खोजने के लिये देशान्तर में गया था, वह आगया। कन्या के विवाह के लिये वर के अन्वेषण के लिये पूर्व में गये हुए मंत्री को आया देख उसी समय राजा कुछ रूक गये / राजा को रूका हुआ देख कर भट्टमात्रने कहा कि 'समय बीत रहा है, इसलिये आप शीघ्रता कीजिये।' राजा महाबल ने कहा कि 'हे भट्टमात्र ! इस समय कुछ काल विलम्ब करो, क्यों कि बहुत समय से मेरा मंत्री आया है, अतः उस से पूछ लेते हैं। फिर राजा महाबल अपने मंत्री से बातचीत करने लगे। तब मंत्री ने कहा कि सपादलक्ष' देश में पृथ्वी का भूषण रूप 'श्रीपुर' नामक नगर है। वहाँ के राजा ‘गजवाहन' के 'धर्मध्वज' नामक पुत्र है / वह बहुत सुन्दर है। उसी के साथ आपकी कन्या के शुभ मुहूर्त में विवाह का निश्चय करके आगामीदशमी तिथि कालम मैं ने तय किया है। वह शीघ्र ही जान लेके शादी के लिये अवश्य आवेगा।' Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org