________________ 253 मुनि निरंजनविजयसंयोजित राजा उस योगी के साथ वन में पहुँच कर योगी की सहायता के लिये तत्पर हुए। उस दुष्ट बुद्धि वाले योगी ने राजा को वृक्ष की शाखा में बँध हुए एक शब को लाने के लिये भेज और स्वयं खदिर की लकड़ी से एक कुंड में अग्नि प्रज्वलित कर के अपनी शिया करने के लिये वहाँ ध्यान में लीन हो गया। AN. ASIA INIATE ARMAnnaiy har - राजा ने वृक्ष पर चढ़ कर मृतक के बन्धन काटे और उसे नीचे गिराया / फिर स्वयं भी नीचे उतरा तब तक तो वह शब पुनः पूर्ववत् ही उस वृक्ष की शाखा में लग गया। यह देख कर. राजा उस शव को लेने की इच्छा से पुनः वृझ पर चढ़ा इस प्रकार राज का कष्ट देख कर अग्निवैताल उस शब के शरीर में प्रवेश करके राजा से बोला कि हे राजन् ! बुद्धिमानों का समय काव्य, गीत और शास्त्र के श्रवण तथा विनोद में बीतता है और मूखों का समय व्यसन, Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org