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________________ अमृतलाल मोदीने 1 से 6 सर्ग तकका भाषादृष्टि अवलोकन किया तथा प्रेस संबंधी कार्यमें तथा प्रुफ रीडींगके कार्यमें व्याकरणतीर्थ-वैयाकरणभूषण पंडित अमृतलाल मोहनलाल संघवीने पूर्ण सहकार दिया व सदा स्मरणीय रहेगा। इस ग्रन्थको हिन्दी भाषामें अनुवाद करनेकी आवश्यकता: हिन्दी भाषा हिन्दुस्तानके सभी प्रान्तोमें चलसकती है। मारवाड, मेवाड, मालवा, पंजाब, बंगाल तथा कच्छ, गुजरात, बिहार, मध्यप्रांत, युक्तप्रान्त,आदि सभी प्रान्तों की जनता हिन्दी भाषाको बोल या समज सकती है, इसी आशयसे ग्रन्थका हिन्दी अनुवाद करनेकी आवश्यकता हमको लगी / यह अनुवाद सभी को उपयोगी हो इस लिये जहां तक हो सका संक्षिप्त, सरल और बोधक बनानेकी सामग्री समय और साधन के अनुसार हमने इक्कट्ठी करनेका प्रयत्न किया / अतः आशा रखता हूँ कि यह ग्रन्थ सभीको उपयोगी हो। * अन्य विद्वान साक्षरोंकी अपेक्षया मेरा हिन्दी भाषाका अभ्यास एवं अनुभव बहुत कम है। तथापि 'यथाशक्ति यतनीयम्' इस प्राचीन उक्ति अनुसार मेरा यह अल्प मति अनुसार प्रयत्न बालजीवो को अवश्य बोधप्रद होगा यह निश्चत है। ... एक अन्तिम अभिलाषाः इस पुस्तकको जिज्ञासु वाचकोंके सन्मुख रखते हुए अन्तमें उनसे इतनी स्नेह भाव सूचना करना आवश्यक समझता हूँ कि इस ग्रन्थमें भाषा आदिकी Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004265
Book TitleMaharaj Vikram
Original Sutra AuthorShubhshil Gani
AuthorNiranjanvijay
PublisherNemi Amrut Khanti Niranjan Granthmala
Publication Year
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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