________________ मुनि निरंजनविजयसंयोजित 135 कोई नहीं कर सका। तब उसका पिता बोला कि-' यहाँ पर तुम दोनों के विवाद का कोई भी समाधान नहीं कर सकता। इसलिये तुम दोनों शीघ्र राजा के पास जाओ। वहाँ पर महा बुद्धिशालि मंत्री लोग तुम दोनों के विवाद का उचित निर्णय करेंगे।' उनका विवाद तथा सच्चे गुणसार का निर्णय इसके बाद वे दोनों यह धनेश्वर मेरा पिता है, यह घर मेरा है, सब गुण से युक्त यह कलारती मेरी स्त्री है तथा इतने सुवर्ण, चाँदी, नाना प्रकार के अच्छे अच्छे वस्त्र आदि वैभव भी मेरा है, तू छल कर के ले लेना चाहता है; आदि बोलते हुए दोनों राजा के समीप उपस्थित हुए। ___राजा इन दोनों का इस प्रकार वृत्तान्त मुन कर बड़े संशय में पड़ गया। तब परीक्षा करने के लिये मंत्रियों को पास में बुला कर बोला:-" इन दोनों में अभी गृह एवं धन सम्बन्धी विवाद चल रहा है। इसलिये तुम लोग बुद्धि से शीघ्र ही इन के विवाद का फैसला करो। तुम्हारे समान मंत्रियों के रहते हुए इस प्रकार अनर्थ का होना अच्छा नहीं है। बुद्धिमान् मन्त्री को कार्य में लगाने से राजा को तीन लाभ होते हैं। यथा यश की प्राप्ति, स्वर्ग में निवास तथा पूर्ण धन की प्राप्ति। इसलिये कुलीन, शीलवान्, गुणवान् , सत्यधर्म में सदा तत्पर, रूपवान् तथा बुद्धिमान् व्यक्ति को राजा लोग मंत्री के पद पर नियुक्त करते हैं। - इस प्रकार सजा के कहने पर मंत्री लोग उन दोनों से विवाद के विषय में पूछने लगे। परन्तु बार बार अनेक प्रकार से प्रश्न पूछने Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org