________________ 129 मुनि निरंजनविजयसंयोजित कराने से ब्राह्मण प्रसन्न होते है, मयूर मेघका गर्जन सुनकर प्रसन्न होता है, साधुजन दूसरे की सम्पत्ति देखकर प्रसन्न होते हैं, वैसे ही देवता भक्ति से प्रसन्न होते हैं। इसलिये तुम्हारी भक्ति से मैं प्रसन्न होकर तुमको अभीष्ट वरदान देना चाहती हूँ।' चोरकी कथा देवी के मुख से यह वचन सुनकर राजा विक्रमादित्य बोला कि- 'हे देवि ! जिस चोर ने मेरी स्त्री को चुरा लिया है उसका स्वरूप कैसा है तथा वह कहाँ रहता है ? वह स्थान मुझ को बतलाओ।' ___तब देवी कहने लगी कि-'हे राजन् ! पहले उस चोर की उत्पत्ति के बारे में सुन। . धनेश्वर व गुणसार इस नगर में पूर्व समय में * धनेश्वर' नाम का एक सेठ रहता था। बहुत प्रेम करने वाली 'प्रेमवती' नामक अत्यन्त सुन्दर उसकी स्त्री थी। उस के सब गुणों से युक्त ‘गुणसार' नामक एक पुत्र था। सुन्दरता से देवताओं की स्त्रियों को भी जीतने वाली तथा सब गुणों से युक्त गुणसार के 'रूपवती' नामक पत्नी थी। इस प्रकार अपने पुण्य के प्रभाव से वह सब प्रकार से सम्पन्न था। जैसा भाग्य होता है, उसी के अनुसार बुद्धि उत्पन्न होती है। कार्य भी सब वैसा ही अनुकूल होता है / सहायता करने वाले भी वैसे ही मिलते हैं। - जो प्राणी अपना कोई स्वार्थ न रख कर धर्म करता है, Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org