________________ 104 विक्रम चरित्र को भी इस अद्भुत नृत्य का पता चल गया कि मंदिर में दिव्य रूपधारी देव प्रेमपूर्ण भक्ति सहित नृत्य गान कर रहे हैं। - राजा शालिवाहन उस अद्भुत नृत्य को देखने के लिए योग्य परिवार के साथ युगादि जिनेश्वर के मंदिर में आ पहुंचा। उस को आता हुआ देख कर विक्रमादित्य ने अपने आपको आकाश में लेकर उड़ने का अग्निवैताल को संकेत किया तथा वे तीनों तुरंत उड़ते हुए दिखाई देने लगे। तब राजा शालिवाहन कहने लगा कि 'हे देवो! यदि तुम लोग नृत्य गान किये बिना तथा मुझे नृत्य दिखाये बिना चले जाओगे तो मैं आत्महत्या कर लूंगा।' राजा का ऐसा आग्रह देख कर वे वापस नीचे उतर आये तथा आश्चर्यजनक नृत्यगान से सब जन को मोहित कर लिया। शालिवाहनका राजसभामें नृत्यकरनेका आग्रह राजा ऐसे अद्भुत नृत्य को देख कर खूब खुश हुआ। उसने उन देवों से प्रार्थना की कि 'आप लोग हमारी राजसभा में भी नाच करें, जिससे उसकी कीर्ति सब तरफ फैले।' नीति में कहा है कि-मानो हि " अधम धनको चाहते हैं, मध्यम धन व मान दोनों चाहते हैं परन्तु उत्तम मनुष्य केवल मान के भूखे होते है। x कहा भी है कि-- "देवता, राक्षस, गंधर्व, राजा और मनुष्य तीनों जगतमें व्याप्त 4 अधमो धनमिच्छन्ति, धनमानौ च मध्यमाः / उत्तमा मानमिच्छन्ति, मानो हि महतां धनम् // 255 // Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org