________________ मुनि निरंजनविजयसंयोजित घटाना चाहो, उतने घटेंगे।' इसलिये शोकको छोड देना ही ठीक है / और इस क्षणिक संसार में तीर्थंकर, गणधर देवतादि एवं चक्रवर्ती राजाओं का भी काल-यम ने संहार किया, तो दूसरे मनुष्योंका तो कहना ही क्या ? इस प्रकार मंत्री आदि के उपदेश से माता के मृत्यु जन्य शोक को त्याग कर महाराज विक्रमादित्य सुख से राज्यकार्य करने लगे। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org