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________________ मुनि निरंजनविजयसंयोजित तब भट्टमात्र बोला-" मैं सपरिवार सकुशल हूँ" हे विक्रमादित्य ! आपके पवित्र गुणोंका स्मरण करता हुआ आपकी राज्य प्राप्ति का हाल सुनकर पूर्व कथानुसार आप से मिलने के लिये आया हूँ। अवधूत कौन ? ___ भट्टमात्र सभा को सम्बोधित करते हुए बोला कि-' हे मन्त्रीश्वर! कर्मचारीगण! तथा प्रजाजन ! ध्यान से सुनिये, ये जो आपके राजा हैं वे अवन्तीपति भर्तृहरि के अतिप्रिय लघु बन्धु स्वयं विक्रमादित्य हैं।' . माता-पुत्र का मिलन। इस प्रकार वर्तमान अवधूत राजा ही विक्रमादित्य हैं; यह सुनकर तथा अच्छी प्रकार लक्षणादि रूप रंग आकार बोल-चाल अवस्था -व्यवस्था देख पहचान कर सभासदादि मन्त्रिगण हप्ति होकर सहसा भट्टमात्र से कहने लगे कि ' हे महानुभाव ! तुम्हारा कहना यथार्थ ही मालूम पडता है / यह वृत्तान्त सुनकर सारी सभा के उपस्थित प्रजाजन, जैसे पूर्णचन्द्र को देखकर समुद्र हप्ति होता है, उसी तरह विपुल हपैसे ओत-प्रोत हो गये / विक्रमादित्य की जननी श्रीमती महारानी अपने पुत्रका हाल सुनकर बड़ी ही प्रसन्न हुई। इतने में ही मातृवत्सल विक्रमादित्य ने राजसभा से अन्तःपुर में जाकर अपनी माता के चरणों में पूर्ण भक्ति से नतमस्तक होकर प्रणाम किया। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004265
Book TitleMaharaj Vikram
Original Sutra AuthorShubhshil Gani
AuthorNiranjanvijay
PublisherNemi Amrut Khanti Niranjan Granthmala
Publication Year
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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