SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 216
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आसव, बन्ध, संवर, निर्जरा और मोक्ष। इनमें पुण्य और पाप को जोड़ देने से नव पदार्थ हो जाते हैं। अधिक स्पष्ट विवेचन इसका गुणस्थानों के विवेचन में तृतीय अध्याय में कर चके हैं। अत: संक्षेप से नव पदार्थ अथवा सात तत्त्वों का श्रद्धान करना सम्यग्दर्शन कहलाता है। सम्यग्ज्ञान आराधना - अब व्यवहार सम्यग्ज्ञान आराधना का प्रतिपादन करते हैं सुत्तत्थभावणा वा तेसिं भावाणमहिगमो जो वा। णाणस्स हवदि एसा उत्ता आराहणा सुत्ते।' अर्थात् उन जीवादि नौ पदार्थों का जो अधिगम होता है उसको जिनागम में ज्ञान की भावना कहा है और उसी को परमागम में ज्ञान की आराधना कहा है अर्थात् यह सूत्रार्थ भावना ही परमागम में ज्ञान की आराधना अथवा ज्ञान की भावना है, ऐसा समझना चाहिये। ऐसा प्रतीत होता है कि गाथा में सम्यग्ज्ञान आराधना की परिभाषा तीव्र क्षयोपशम तथा अल्प क्षयोपशम को ध्यान में रखकर कही गई है। यह सम्यग्ज्ञानाराधना इन आठ अंगों के द्वारा होती है 1. अक्षराचार - शब्द शास्त्र व्याकरण के अनुसार अक्षर, पद, वाक्य आदि का शुद्ध उच्चारण करते हुए शास्त्रों के पठन में विराम, विसर्ग, रेफादि का ध्यान रखकर पठन-पाठन करना अक्षराचार कहलाता है। श्रृताचार, व्यञ्जनाचार, ग्रन्थाचार इसके अन्य नाम हैं। अक्षर को शुद्ध नहीं पढ़ने से अर्थ का अनर्थ हो जाता है। जैसे चिन्ता में अनुस्वार छोड़ देने से चिता अर्थ हो जाता है। अतः शुद्ध उच्चारण करना, ज्ञानाचार का प्रथम सोपान है। 2. अर्थाचार - जिन शब्दों का वाचन किया है उनका वाच्य अर्थ भी शुद्ध पढ़ना अर्थाचार कहलाता है। एक शब्द के अनेक अर्थ होते हैं। जैसे - सैंधव का अर्थ घोड़ा भी है और सैंधा नमक भी। अर्थ प्रकरणवश किया जाता है, भोजन करते समय सैंधव का अर्थ नमक और कहीं बाहर घूमने जाने में घोड़ा। अन्यथा अज का अर्थ बकरा करके यज्ञ में बकरे की बलि देने जैसी कुरीतियों का प्रचलन हो सकता है, जबकि अज के आराधनासार गा.5 210 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004264
Book TitleDevsen Acharya ki Krutiyo ka Samikshatmak Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages448
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy