________________ Sa चतुर्थ अध्याय 26 - ज्ञानमीमांसा एवं प्रमाणमीमांसा MOTO MONOMOTIO More M.EO MOTEC MONOLORIO.MONIC (अ) जैन ज्ञान मीमांसा का उद्भव और विकास (ब) जैन न्याय का उद्भव एवं विकास ज्ञान की परिभाषा एवं भेद-प्रभेद न्याय की परिभाषा मतिज्ञान एवं श्रुतज्ञान-साम्य, वैषम्य प्रमाण लक्षण अवधि एवं मनःपर्यवज्ञान के भेद को दिखाने आगमोत्तर युग में प्रमाण एवं परोक्ष प्रमाण वाले हेतु एवं साधर्म्य प्रत्यक्ष प्रमाण एवं परोक्ष प्रमाण केवलज्ञान की सर्वोत्तमता न्यायशास्त्र के प्रमुख तीन अंग-प्रमेय, ज्ञाता, ज्ञेय और ज्ञान का भेदाभेद प्रमिति, प्रमाता ज्ञान की विशिष्टता चार निक्षेप का स्वरूप प्रमाणमीमांसा की विशिष्टताएँ Jain Education Intemational For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org