________________ Vaneousanamavasaram. VIATC/navsa/ARave शब्दार्थ-नमुत्थुणं, जे अहा, अरिहंत चेइयाणं, लोगस्त, सबलोए, पुरूखरवर, तपतिमिर, सिद्धाणं बुद्धाणं, जो | देवा, उशित, चत्तारि अह, वेयावच गराणं, ए बार अधिकारना प्रथम पद जाणवां // 42 // विस्तारार्थः-नमोत्थणं ए पहेला अधिकारनुं प्रथम पद जाणवू; जेथ अईया सिद्धा ए बीजा अधिकारनुं प्रथमपद जाणवं. तथा अरिहंत चेश्याएं एत्रीजा अधिकारनुं प्रथम पद जाणवं, लोगस्स उङोयगरे ए चोथा अधिकारनुं प्रथम पद जाणवू. सबलोए अरिहंत चेश्याणं ए पांचमा अधिकारनुं प्रथम पद जाणवू; पुरकरवरदीव ए बट्टा अधिकारनुं प्रथम पद जाणवू; तमतिमिर पमल विज्ञसणस्स ए सातमा अधिकारनुं प्रथम पद जाणवू, सिद्धाणं बुद्धाणं ए आठमा अधिकार- प्रथम पद जाणवू, जो देवाणविदेवो ए नवमा अधिकारनुं प्रथम पद जाणवू, उचिंत सेल सिहरे ए दशमा अधिकार- प्रथम पद जाणवु चत्तारि अट्ठ दस दोय, एअगीयारमा अधिकारर्नु प्रथम पद जाणवं; वेयावच्चगराणं ए बारमा अधिकारनं प्रथम पद जाणवू; ए बार अधिकारोना पहेलां पद एटले आदिनां पद धुरियां जाणवां // 45 // weemaanavareADAAIORAJanamaARDARNEVIEWore/as Jain Education international For Personal & Private Use Only www jainelibrydig