________________ - Sasau0/detavanepanasaitasangaBANE उच्चरे, ते अनुन्नाषण शुकि जाणवी. पांचमी निराशंसपणे रूमी रीते पाले, जो विषम जय कष्ट | आवी उपजे तो पण दृढ रहे, परंतु पञ्चख्खाण नंग न करे, पच्चख्खाणथी चूके नहीं, ते | अनुपालणा शुद्धि जाणवी. बही पूर्वोक्त सर्वप्रकारथी निऊँरारूप इहलोक परलोकनी वांगरहितपणे आशंकादि दोषे करी रहित ते नावशुद्धि . इति एटले एम जाणवू. ए शुद्धि पण समस्त सर्वे पच्चख्खाणोने विषे जाणवी. एम नंगादि विशुद्धिना विस्तारनां बीजक ग्रंथांतरथी | जाणवां. एटले ए आठमुं न शुद्धिनुं हार थयु // उत्तर बोल अट्ठाशी थया. // 46 // हवे पच्चख्खापर्नु फल बे प्रकारे थाय, तेनुं नवमुं हार कहे जे. पञ्चख्खाणस्स फलं-पच्चख्खा- परलोके | तु-वली . दामनगमाइ-दामनकादि गर्नु फल होइ-होय इहलोए-आ लोक आश्री परलोए-परलोकने विषे इहपरलोएय-इह लोक तथा | दुविहं-बे प्रकारनु | धम्मिल्लाइ-धम्मिलादिकनो / Steve Nyerere Jain Education international For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org.