________________ Genuism तु-वली VasyamantrawasavaranteerNa/HTRAI/Aa/GOTHARAJ थयुं बे. हवे अशन को? आरोगुं? निस्तारूं? इत्यादिक विनय नाषा साचवीने जमवं, तेने पच्चख्खाण कीयु कहीये // 45 // इअ-ए सदहणा-सद्दहणा अणुभासण-अनुभाषण शुद्धि पडिअरि-आयु अहवा-अथवा जाणण-जाणवाप' अणुपालण-अनुपालणाशुद्धि भावमुद्धत्ति-भावशुद्धि छे आराहियं-आराध्यु छ मुदि-छ शुद्धि विणय-विनय शुद्धि एम जाणवु इअ पडिअरिअं आरा-हियं तु अहवा छ सुद्धि सद्दहणा॥ जाणण विणयणु भासण-अणुपालण भाव सुद्धत्ति॥४६॥दारण ब्दार्थ-उपर कहेला सर्व प्रकारे आचर्यु तेने आराध्यु कहेवाय अथवा पचरूखाणनी छ शुद्धि छे ते लीधा प्रमाणे करवू, जाणनी पासे करवू, गुरुनो विनय करवो, गुरु बोले तेम मनमां बोलj, कष्ट पडे तो पण भागवू नहि, शंकादि दोप रहित रहेg, ए छ विशुद्धि जाणवी. // 46 // a naveDomasasoredoaadioups/pop/DD inin Education international For Personal & Private Use Only www.ainelibrary.org