________________ प०भा० stoda/Da/namasteemap/ee/ Savants/anandiVAJA/ | च-अने खंग रहे, तो पण तेने वली संसृष्ट अव्य कहिये. ते नीवीयातामहे सेवा कल्पे परंतु एथी || महोटा खंग गोलना रहे तो ते विकृतिगत जाणवा, ते कल्प नहीं // 36 // ___ हवे वली एहिज नीवियातानुं स्वरूप दर्शाववा कांक विशेष कहे . दव-द्रव्य चोखा प्रमुखे / पुणो-वली.. | उद्धरिए-उधर्यापछी इम-एम हय-हणी तेण-ते माटे तत्-ते विगइ-विगइने तं-तेने तम्मिय-ते उतर्या पछी अन्ने-अनेरा कहे ले, विगइगयं-निवियातु हमेदव्वं-हतद्रव्य उकिदव्वं-उत्कृष्टद्रव्य दवहयविगई विगइ-गयं पुणो तेण तं हयं दव्वं // उद्धरिए तत्तंमिय, उक्किठ्ठ दवं इमं चन्ने // 37 // शब्दार्थ-शालना चोखा विगरेथी निर्वीर्य करेली तिरादिक विगइ तथा वर्णिकादिके करीने हणी एवी जे घृतादि // 148 D/19/DP/dowe/ov /sether/nayana/ANVARE inin Education international For Personal & Private Use Only www.jamelibrary.org