________________ Total प. भा० // 144 // vmamawwamamavazaaaaaaaaaaaaavanRVINNI विशेष के जिहां विदलयुक्त करवु पमे, तिहां दहीं तथा बास जे वमामांहे नांखवी होय तेने ऊष्ण करी नांखीये तेवारे श्रावकने नक्षण करवा योग्य प्राय, अन्यथा घोलवमां बावीश अन्नदयमांगणाय ते नक्षण करवा योग्य नथी. अकल्पनीय जाणवां // 33 // ____ हवे तेल तथा गोल विगश्ना पांच पांच निवीयातां कहे बे. तिलकुहि-तिलवट / पकुसहितरिय-पकौषधियी / सकर-साकर खंड-खांडनी निम्भंजण-निर्भजण तरिततेलगुलवाणय-गोलवाणी अधकढिय-अरधो कढेलो पकतिल-औषध पक्वतेल / तिल्लमली-तेलनीमली. पाय-गुलनी पांति / इख्खुरसो-शेलडीनो रस तिलकुट्टि निभंजण, पक्कतिल पक्कुसहितरिय तिल्लमली॥ सकर गुलवाणय पाय, खंड अधकढिय इख्खुरसो॥३४॥ शब्दार्थ-तिलवट, निर्भजन तेल, औषध पकतेल, पकौषधितरित तेल, अने तेलनी मळी ए पांचनीवियाता तेलनां vanawaneonangewwwanaparaswanaprasavamaawara // 144 // Jain Education International For Personal & Private Use Only www.ainelibrary.org