________________ प०भा० WANNEN प०भा / 122 // अने मदिरादि तथा नालिकेरादिकनां जलने सांप्रत जितव्यवहारे अशनमां गणीये बैये // 14 // . हवे त्रीजो खादिम आहार कहे . खाइमे-खादिमने विषे साइमे-खा दिमने विषे मह-मध अणाहारे-अनाहारने विषे भत्तोस-भक्तोष, शेकलां सुंठि-मूठ धान्य विगेरे जीर-जीरं | गुड-गोल मोय-लघुनीति फलाइ-फलादिक | अजमाइ- अजमादिक . / तंबोलाइ-तंबोलादिक निवाइ-निंबादिक ___ खाइमे भत्तोस फलाइ, साइमे सुंठि जीर अजमाइं॥ ___मह गुड तंबोलाइ, अणाहारे मोय निंबाई ॥१५॥दारं 3 // शब्दार्थ-खादिममा शेकेला धान्य तथा फलादि जाणवां. अने स्वादिममा सुंठ, जीरूं, अजमो विगेरे, वली मध, गोल अने नागरखेलना पानादि जाणवा. तेमज अनाहारने विषे मात्रु तथा लींबडानी सळी प्रमुख जाणवा // 15 // विस्तारार्थ:-हवे त्रीजो खादिम थाहार कहे . आकाश एटले मुखनुं विवर कहिये. तेने पूरे, लगारेक नूख मात्र नांजे, पण अन्नादिकनी पेरे तप्ति न करे, परंतु काइएक अशनसमान amuavanamasanaposseeneuvenue/app/0/ // 122 // VANN For Personal Private Only