________________ BramBaeBARDPapermanaparveNews शब्दार्थ-१ अंजलीबद्ध प्रगाम,२ अर्दावनत प्रणाम, अने 3 पंचांग मणाम ए त्रण प्रणाम जाणवा. अथवा सर्व प्रणाम करवाने वखते त्रणवार मस्तक नमावq ए पग त्रण प्रणाम जाणवा. // 9 // _ विस्तारार्थः-श्री जिन प्रतिमा देखी बे हाथ जोमी निवामे लगामी प्रणाम करीये ते प्रथम | अंजलिबंध प्रणाम कहीये, तथा कटिदेशथी उपरखं अर्धं शरीर तेने लगारेक नमामी प्रणाम करीये, अथवा ऊर्ध्वादि स्थानके रह्यां थकां कांइक शिर नमामीये, तथा शिर करादिकें करी नूमिका पादादिकर्नु फरस, ते एक अंगथी मामीने चार अंग पर्यंत नमाम ते बीजो अर्द्धावनत प्रणाम कहीयें, तथा वली बे जानु, बे कर अने पांच, उत्तमांग ते मस्तक, ए पांच अंग नमामी खमासमण थापीयें, ते त्रीजो पंचांग प्रणाम जाणवो. ए त्रण प्रणाम | जाणवा. अथवा सर्वत्र प्रणाम करवासमये त्रण वार मस्तकादिक नमामवे करीएटले शिर, कर | अंजली प्रमुखे करी जे त्रण वार नमन आवर्त करवं ते प्रणामत्रिक जाणवू. ए त्रीजुं प्रणा| मत्रिक कडं // ए॥ PAPGeranp/aatop/aANDOODaaom/aANDoapan Jan Education International For Personal & Private Use Only