________________ प०भा० ADVEMB/Saamsa प०भा० 1 " avanavaasanawwaavasavetnewsANGamvasaviSEBAAWAR | तिहां पर्यंत जाणवू. आठमुं जोरकसहियं पच्चस्कामि एटले ज्योतिष्क जे दीवा प्रमुखनी ज्योति | रहे तिहां सुधी संकेत करे. ए पाठ प्रकारे नवमुं सांकेतिक पच्चरकाण कहेवाय जे जे माटें का डे के // अंगुट मुट्टी गंठी, घर सेन उरसास थिबुक जो इको // पञ्चकाण विचाले. किच्च मण-| निग्गहे सुचियं // 1 // तथा कोइ पोरिसी आदि पच्चरकाण न करे अने केवल अन्निग्रहज करे | तो गांठ प्रमूख न बोमे त्यां लगें पञ्च रकाण तेने थाय, तेथी ए पच्चरकाण जेम बीजा पच्चरकाणोनी | वचमां थाय बे, तेम अन्निग्रहने विषे पण थाय . तथा साधुने पण कोश्क स्थानकें ज्यां सुधी मंझल्यादिकें गुर्वादिक न आल्या होय त्यां लगें अथवा सागारिकादिकनुं का कारण होय, तेवारें पण ए अनिग्रह संकेत पच्चकाण थाय. - दशमुं श्रद्धा ते काल मुहूर्त पौरुष्यादिक प्रमाणने पण उपचारथी जाणी लेवो. ते काल पच्चरकाण जाणवू // 2 // s aramrostsGwaswataa // 11 // / in Education national For Personal & Private Use Only