________________ 2 गुभा -185 PED/DVDastawe00/SI/ROUNDAARODAMOGoa मिथ्यात्वशस्य एत्रण शल्य बांसु, एम चिंतवीये मावा खंना अने जमणा खन्नानी नीचे उपर बे पासानी पमिलेहणा चार करीये त्यां क्रोध, मान, माया ने लोन ए चार कषायने बांसु एम चीतवीये. माबे जमणे पगे अनुक्रमे त्रण त्रण पमिलेहणा करीये, तिहां अनुक्रमे पृथ्वीकाय, अपकाय, तेनकाय, वायुकाय, वनस्पतिकाय अने त्रसकाय, ए काय जीवोनी रक्षा करूं. एम चीतवीये.॥ तथा वली पमिलेदणना अधिकार माटे वस्त्र, पात्र, पाट, बाजोग, पायावाला पाटला पाटली, स्थापनाना मबा, ढांकणां, अने नाजन प्रमुखनी पञ्चीश पमिलेहण तथा कणदोरा, मांझा अने मांझीनी दश पमिलेहण तथा थापनानी तेर, पायानी तेर इत्यादिक सर्व परंपरागते जाणवी. // 1 // आवस्सएसु-आवश्यकनेविषे | पयत्तं-प्रयत्न ग तिविहकरण-त्रिविधकरण | तहतह-तेमतेम जहजह-जेमजेम अहोण-हीन नही उच उत्तो-शुद्ध उपयोगी थयो से-ते कुणइ-करे | अइरित्तं-तेम अधिक नही / थको / निज्जराहोइ-निर्जरा होय 98/8RRARAHEBDeceavitawaata/80/900/N 85 // For Personal Private Only