________________ चै०भा० ०भा० // 5 // Parashu/0/600/AAVAVARReviecems एकाग्रपणुं न करे 31 सचित्त अव्य बाहिर न मूकी आवे; 32 उत्तरासंग न करे; 33 अंजलि न || करे 34 अनिष्ट, 35 दीन, कुसुमादि पूजोपकरण राखे, 36 अनादर करे, 37 जिनेश्वरना प्रत्यनीकने वारे नही, 36 चैत्यव्य खाय, ३ए चैत्यद्रव्यनी उपेक्षा करे, 40 बती सामर्थं पूजावंदनादिकें मंदता करे, 41 देवव्यादि नक्षक साथें व्यापार मित्राश् सगाई करे, 42 तेहवा व रानी मुख्यता करे, तथा तेनी आायें प्रवतें, ए बहेंतालीश मध्यम आशातना वर्जवी. एटले ए चोवीशमुं श्राशातनानुं हार थयुं // उत्तर बोल 2074 पूर्ण थाय // . हवे देव वांदवानो विधि कहे बे. इरि-इरियावहि थुई-स्तुति थुइ-बीजी स्तुति जावंति-जाति चेइआई नमुक्कार-नमस्कार लोग-लोगस्स पुख्ख-पुरुखरवदी थय-स्तवन नमुथ्थुण-नमुथ्थुणं सव्व-सब्बलोए अरिहंत चे- सिद्धा-सिद्धाणं बुद्धाणं जयवी-जयवीयराय अरिहंत-अरिहंत चेइमाणं ! इआणं | वेआ-वेयावचगराणं vatiovativitiaVERNMAMAmavasnaveevelowevtanaweseway /oceetaves For Personal & Private Use Only www.ainelibrary.org