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________________ 94 ज्ञाताधर्मकथांग का साहित्यिक एवं सांस्कृतिक अध्ययन ज्ञाताधर्मकथा में उदात्तीकरण ___ कहानी के सारे तत्त्व प्रभावीकरण को व्यक्त करते हैं और वे ही छोटे-छोटे चित्रों में नदी की धारा के समान एक दृश्य विशेष से जीवन को जिस क्षण प्रस्तुत करते हैं उसी क्षण वे उदात्तीकरण के रूप को प्राप्त हो जाते हैं। उदात्त चरित्र, उदात्त उद्देश्य और उदात्त वातावरण ये तीनों ही ज्ञाताधर्म की कथाओं के अंशों में पाये जाते हैं जिससे कथा में संवेदना, स्वाभाविकता, प्रभावशीलता, वैयक्तिकता उभरकर सामने आ जाती है। कथाकार जो भी कथानक लेकर चलता है उसमें निश्चित उद्देश्य के साथ-साथ उदात्तभाव भी समाहित होता है। ___ज्ञाताधर्म की कथाओं में जो भी उदाहरण हैं वे सभी समाज के लिए दिशा बोध करते हैं। राजा श्रेणिक की जीवन गाथा, अभयकुमार की वाक्-पटुता, मेघकुमार की वैराग्यभावना, धारिणी देवी का निवेदन, कंचुकी के भाव, धन्य सार्थवाह की क्षमाशीलता, देवदत्ता गणिका का जीव संरक्षण भाव, अरिष्टनेमि का उपदेश, महाबल की दीक्षा, माकन्दी पुत्रों की प्रार्थना, जितशत्रु की तत्त्वजिज्ञासा. नन्द की मिथ्यात्वदृष्टि, तेतलिपुत्र की विरक्ति, द्रौपदी का समर्पण भाव आदि उदात्तीकरण के दृष्टान्त ही हैं। उत्क्षिप्तज्ञात नामक अध्ययन में धारिणी देवी के उदात्तीकरण को उपमा एवं रूपक अलंकार के रूप में प्रस्तुत किया गया है। वह देवी दर्शक के चित्त में प्रसन्नता उत्पन्न करनेवाली दर्शनीय, रूपवती, वार्तालाप में प्रवीण, विश्वासपात्र, धैर्यशीला एवं धार्मिकप्रवृत्ति के गुणों से सम्पन्न थी। इसी प्रकार राजा श्रेणिक का पुत्र अभयकुमार शुभ लक्षणों से युक्त अनेक गुणों से सम्पन्न था। यथार्थ में यही कहा जा सकता है कि ज्ञाताधर्मकथा के प्राय: सभी पात्र उदात्त हैं। सभी पौराणिक एवं ऐतिहासिक पात्र हैं। वर्ग विभाजन की दृष्टि से इनके पात्रों को स्त्री-पुरुष पात्र, जलचर पात्र, नभचर पात्र आदि के रूप में विभाजित किया जा सकता है। ये सभी पात्र किसी निश्चित उद्देश्य को लेकर जीवन दर्शन एवं जीवन पद्धति का कथन करते हैं और सभी कथन उपासना, स्वाध्याय, संयम, तप, गुरुजनों के प्रति आदर, विनय, सत्कार, दान, ध्यान, ज्ञान, वैराग्य आदि के स्वरूप को लिए हुए आत्मकल्याण का मार्ग प्रशस्त करते हैं। अत: ज्ञाताधर्म के कथानकों का उदात्तीकरण पात्र के गुणों के अनुसार किया जाए तो निश्चित ही अभीष्ट मार्ग प्रशस्त करने में सहायक होंगे। लोकतत्त्व विवेचन ज्ञाताधर्म की कथाएँ मानवीय तत्त्वों से परिपूर्ण सामाजिक एवं धार्मिक कथाएँ हैं। इनमें लोककथा के तत्त्व भी समाहित हैं जो हमें प्राचीन रीति-रिवाजों, परम्पराओं, 1. ज्ञाताधर्मकथा 1/16. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004258
Book TitleGnatadharmkathang ka Sahityik evam Sanskrutik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajkumari Kothari, Vijay Kumar
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year2003
Total Pages160
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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