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प्रो. सागरमल जैन एवं डॉ. सुरेश सिसोदिया : 69
परम्परा के प्रवर्तक प्रधान पुरूष श्री लोकाशाह भी मुहपत्ती नहीं बांधते थे। बांधने की प्रथा बाद में चली है। - देखिए गुरूदेव श्री रत्नमुनि स्मृति-ग्रन्थ में पं. दलसुखभाई मालवणिया का लेख "लोकशाह और
उनकी विचारधारा"। . 30. विशिष्ट वेषधारी भिखारी। 31. ज्येष्ठ भगिनी व पुत्री के नामो के कुछ गड़बड़ी हुई मालूम होती है।
विशेषावश्यकभाष्यकार ने (गाथा 2307) महावीर की पुत्री का नाम ज्येष्ठा सुदर्शना व अनवद्यांगी बताया है जबकि आचारांग में महावीर की बहिन का नाम सुदर्शना तथा पुत्री का नाम अनवद्या व प्रियदर्शना बताया गया है।
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