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________________ 194 : अंग साहित्य मनन और मीमांसा सागारधर्मामृत 5/12 79. मज्जाया गमणे होई, पुव्वाइसु दिसासु जा एवं सिया दिसिवय तिविहं तं च कित्तिय । - उपासकदशांगसूत्र (घासीलाल जी), पृ. 235 80. रत्नकरंडक श्रावकाचार, 2/22 81. उवासगदसाओ, 1/50; रत्नकरंडक श्रावकाचार, 2/27; सागारधर्मामृत, 4/5 82. उवासगदसाओ, 1 / 18-42; श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र (अणुव्रत ), 7; रत्नकरंडकश्रावकाचार, 2/36 ; योगशास्त्र, 3/4 83. उवासगदसाओ, 1/51; तत्त्वार्थसूत्र, 7/30 84. उवासगदसाओ, 1/50, 51, 52 85. उवासगदसाओ, 1/11; तत्त्वार्थसूत्र, 7/16; रत्नकरंडक - श्रावकाचार,4/1 86. तत्त्वार्थसूत्र, 7/16, 87. रत्नकरंडक श्रावकाचार,4/1 88. वसुनंदिश्रावकाचार, 217, 218, 219 89. सागारधर्मामृत, 5/24 90. उवासगदसाओ, 1/53; तत्त्वार्थसूत्र, 7/28; रत्नकरंडक - श्रावकाचार, 4/9; सागारधर्मामृत, 5/33; कार्त्तिकेयानुप्रेक्षा, 53 91. उवासगदसाओ, 1/11; आवश्यकसूत्र, 6; तत्त्वार्थसूत्र, 7/16; पुरूषार्थसिद्धयुपाय, 139; उपासकाध्ययन, 4/5 92. उवासगदसाओ, 1/54; रत्नकरंडक श्रावकाचार, 4 / 20; तत्त्वार्थसूत्र, 7/29 93. उपासकदशांगसूत्र टीका (अभयदेव), पृ.45; रत्नकरंडक श्रावकाचार, 4/19 Jain Education International प्रवक्ता पार्श्वनाथ विद्यापीठ, वाराणसी For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004256
Book TitleAng Sahitya Manan aur Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain, Suresh Sisodiya
PublisherAgam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan
Publication Year2002
Total Pages338
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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