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144: अंग साहित्य : मनन और मीमांसा
* अओविधा, मतिअण्णाणी, सुतअण्णाणी, विभंगणाणी,
8/1061 33. पुढविकाइया छगतिया छ आगतिया पण्णत्ता, तं जहा- पुढविकाइए
पुढविकाइएसु उवक्जमाणे पुढविकाइएहितो वा (आउकाइएहितो वा, तेउकाइएहिंतो वा, वाउकाइएहिंतो वा, वणस्सइकाइएहिंतो वा), तसकाइएहितो वा उववज्जेज्जा। -6/9 स्थानांग। . * पुढविकाइया णवगतिया णवआगतिया पण्ण्त्ता ,
बेइंदिएहिंतो वा, तेइंदिएहिंतो वा, चउरिदिएहिंतो वा, पंचिंदिए
हिंतो वा। -स्थानांग। * से चेव णं से पुढविकाइए पुढविकायत्तं एवमाइकाइयावि जाव
पंचिंदियत्ति। - 1/11 34. सत्तविहे दंसणे पण्णत्ते, तं जहा-सम्मइंसणे, मिच्छदसणे,
सम्मामिच्छदंसणे, चक्खुदंसणे, अचक्खुदंसणे, ओहिदसणे, ओहिदसणे, केवलदसणे। -7/76 स्थानांग।
* अओविधे दंसणे पण्णत्ते..... सुविण दसणे। -8/38, स्थानांग। 35. सत्तविधे जोणिसंगहे पण्णत्ते, तं जहा - अंडजा, पोतजा, जराउजा, .. रसजा, संसयेगा, समुच्छिमा, उब्भिगा 7/3 स्थानांग।
* अओविधे,...... उववातिया। 8/2, स्थानांग। 36 अंडगा सत्त गतिया सत्त गतिया पण्णत्ता, तं जहा- अंडगे अंडगेसु
उववज्जमाणे, अंडगेहिंतो वा, पोतजेहिंतो वा, जराउजेहिंतो वा, रसजेहिंतो वा संसेयरोहितो वा, समुच्छिमेहितो वा, उब्भिगेहितो वा, उववज्जेज्जा। सच्चेव णं से अंडए अंडगत्तं वाविप्पजहमाणे अंडगत्ताए वा, पोतगत्ताए वा, (जराउजत्ताए वा, रसजत्ताए वा, संसेयगत्ताए वा, संमुच्छिमत्ताए वा, उब्भिगत्ताए वा गच्छेज्जा।)- 7/4 स्थानांग।
* . से चेव णं से पुढविकाइए पुढविकाइयत्तं विप्पजहमाणे, . पुढविकाइयत्ताए वा, (आउकाइयत्ताए वा, तेउकाइयत्ताए वा,
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