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________________ 140 : अंग साहित्य : मनन और मीमांसा 5 तिविध पा तिविधे पायच्छित्ते पण्णत्ते, तं जहा-आलोयणारिहे, पडिक्कमणारिहे, तदुभयरिहे- 3/4/448, स्थानांग। * छव्विहे. ...... विवेगारिहे, विउस्सग्गारिहे, तवारिहे। - 6/19 स्थानांग। * अट्टविहे,..... छेयारिहे, मूलारिहे, 8/20 स्थानांग। * णवविधे, .... अणवटुप्पारिहे। -9/42 स्थानांग। .. * दसविधे, पारंचियारिहे। -10/73 स्थानांग। चउव्विहा तणवणस्सतिकाइया पण्णत्ता, तं जहा-अग्गबीया, मूलबीया, पोरबीया, खंधबीया, -4/1/57 स्थानांग। * पंचविहा, ......खंधबीया, बीयरूहा। -4/2/146 स्थानांग। * छव्विहा, ...... संमुच्छिमा- 6/12 स्थानांग। . . 7. णाण बोधी चेव दंसणबोधी चेव। 2/4/4201 * तिविहा ...... चरित्तबोधी -3/2/1761 दुविहा बुद्धा पण्णत्ता - तं जहा णाणबुद्धा चेव, दंसणबुद्धाचेव-2/4/4211 * तिविहा ....... चारित्तबुद्धा। -3/2/177। 9. दुविहे धम्मे पण्णत्ते, तं जहा सुयधम्मे चेव, चरित्तधम्मे चेव। -3/3/4/101 दुविहे पच्चक्खाणे पण्णत्ते-मणसा वेगे पच्चक्खाति, वयसा वेगे पच्चक्खाति। -2/1/391 * तिविहे ..... कायसा वेगे पच्चक्खाति। 3/1/271 11. दुविहे कम्मे पण्णत्ते, तं जहा-पदेसकम्मे चेव, अणुभावकम्मे चेव। -2/3/2651 * चउव्विहेकम्मे ..... पगडीकम्मे, ठितीकम्मे, 4/4/406। 12. दो वट्टवेयड्डपव्वया पण्णत्ता - बहुसमतुल्लाजाब, तं जहा-गंधावाती चेव, मालवंतपरियाए चेव। -2/274। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004256
Book TitleAng Sahitya Manan aur Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain, Suresh Sisodiya
PublisherAgam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan
Publication Year2002
Total Pages338
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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