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शुभकामना संदेश
साध्वी प्रियरंजना श्री जी
सादर सुखशाता . 'पंचसूत्र' पाँच सूत्रों का ग्रंथ है। प्रत्येक सूत्र 40 श्लोक का है। इसमें मानव जीवन से मोक्ष तक की विकास यात्रा के क्रम को बताया गया है।
मानवीय देह पुण्य की उपलब्धि है। लेकिन मानव जीवन का उपयोग यदि आध्यात्मिक क्षेत्र में करना हो तो पंचसूत्रकार भगवान चिरंतनाचार्य दो बात बताते हैं-'पाप प्रतिघात', मन की चंचलता के सामने आक्रमक बनो। पापों को खत्म करना असंभवित है। क्योंकि संसार पाप की जहरीली वायु से ही चलने वाला है। अशुद्ध पानी की मछली को आप शुद्ध पानी में डाल दें तो मर जायेगी। संसार पाप मुक्त हो जाये तो संसार ही मिट जाये। , .
पाप मुक्त संसार या संसारी जीवन नहीं मिल सकता है तो भगवान चिरंतनाचार्य फरमाते हैं कि आप अपनी ही चंचलता के साथ लड़ो। लड़ना यानी तीव्र पश्चाताप है। चंचलता सफल पापों की जनेता है। चंचलता मिटा नहीं सकते हो तो पश्चाताप ला दो और तमाम गुणों का बीज भी तो पश्चाताप है। जिनशासन के प्राचीन साहित्य में पंचसूत्र मूर्धन्य कक्षा का ग्रंथ है।
. साध्वीवर्या श्री प्रियरंजना श्री जी ने अपनी व्युत्पन्न मतियुक्त कलम इस ग्रंथ की विवेचना में लगाई है। साध्वी जी भगवन्त की व्युत्पन्नता से मैं परिचित था, लेकिन उनकी आत्मीयता का भी अभी-अभी परिचय हुआ है। मैं अपनी दीदी समझकर बात मान लेता हूँ। आशीर्वचन तो मैं कैसे भेज सकता हूँ, लेकिन शुभेच्छा अवश्य भेज रहा हूँ।
इस ग्रंथ की विवेचना से मेरी दीदी की कलम अविरत रहे, यही कामना है।
Master plan of human life... -पन्यास चन्द्रजीतविजय
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