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शुभकामना संदेश
'पंच-सूत्र' स्वाध्याय का प्रशस्त विषय है। इसकी व्याख्या वही पुण्यात्मा कर सकती है, जिसमें स्व-पर को जानने की रूचि हो; जिन्होंने जीवन के यथार्थ को जाना, माना और जीवन में उद्घाटित किया हो। ..
इस लघु ग्रंथ में बताए गये हैं शुद्ध-धर्म प्राप्ति के वे सशक्त कारण और कार्य, जिनके माध्यम से जीव 'दुःखरूवे, दुःखफले, दुःखानुबंधे' संसार से छुटकारा पा सकता है। पंचसूत्र में सटीक वर्णन है अरिहन्त, सिद्ध, साधु और धर्म की शरण का, जो शाश्वत् सुख का कारण है। सभी जीवों के प्रति मैत्री, करूणा, माध्यस्थ्य का भाव और 'आत्मवत् सर्वभूतेषु' की कामना का, दुष्कृत गर्दा और सुकृत की अनुमोदना का मार्मिक वर्णन पूज्य साध्वी जी ने अपनी सारस्वत-लेखनी से बहुत प्रभावी ढंग से किया है।
पूज्यनीय साध्वी श्री प्रियरंजना श्री जी हार्दिक साधुवाद की पात्र हैं, जिन्होंने 'पंचसूत्र' के प्रथम अध्याय पर अपनी व्याख्या लिखी है। उनकी कलम से सतत् सरस्वती की धारा बहती रहे, और अमृत बनकर पाठकों को मृत्युंजय बनाती रहे, यही हार्दिक शुभकामना।
डॉ. ज्ञान जैन B.Tech.,M.A.,Ph.D
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