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________________ 68 ऊर्ध्व लोक (देवगति) का वर्णन देवों के प्रकार, लेश्या, सामान्य भेद इन्द्रों की व्यवस्था देवों का काम सेवन देवों के भेदों के नाम ज्योतिषी देवों का गमन एवं विभाग वैमानिक देवों का वर्णन सामान्य कथन एवं भेद रहने का स्थान एवं नाम उत्तरोत्तर अधिकता एवं हीनता श्या लौकान्तिक देव द्विचरम भव कथन तिर्यंच कौन देवों की आयु चतुर्थ अध्याय एक बाल ऊपर से लोक शिखर तक मेरु की मृदंगाकार 7 राजू ि सर्वत्र Jain Education International सूत्र क्रमांक कुल सूत्र पृष्ठ संख्या 1-5 6 7-9 10-12 13-15 16-26 16-17,23 28-42 कुल ऊर्ध्वलोक 3 18-19 2 20-21 2 22 1 24-25 2 26 1 27 1 15 7 राजू सर्वत्र कहाँ है आकार ऊँचाई लम्बाई चौड़ाई घनफल निवास ↓ ↓ 5 1 3 3 = 3 2 6 42 3 राजू 147 * एकेन्द्रिय औसत घनराजू वैमानिक देव 15 * सिद्ध भगवान 69-72 72 73 69-70 74 74-82 74 74-78 80 75,77 81 82 82 75,79,85-87 For Personal & Private Use Only = 3 राजू www.jainelibrary.org
SR No.004253
Book TitleTattvartha Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuja Prakash Chhabda
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year2010
Total Pages258
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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