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44.
कहाँ है आकार ऊँचाई लम्बाई चौड़ाई घनफल
↓
मेरुकी आधा
जड़ से मृदंग
नीचे
तृतीय अध्याय अधो लोक
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7 राजू 7 राजू
सर्वत्र सर्वत्र
4 राजू 196
औसत घनराजू
तल में = 7 राजू
ऊपर = 1 राजू
औसत = 7+1 = 8 = 4 राजू
2 2
रत्नशर्कराबालुकापङ्क धूमतमोमहातमः प्रभाभूमयो घनाम्बुवताकाशप्रतिष्ठाः सप्ताधोऽधः ॥1॥
सूत्रार्थ - रत्नप्रभा, शर्कराप्रभा, बालुकाप्रभा, पंकप्रभा, धूमप्रभा, तमः प्रभा और महातमःप्रभा - ये सात भूमियाँ घनाम्बु, वात और आकाश सहारे स्थित हैं तथा क्रम से नीचे-नीचे हैं || 1 |
तासु त्रिंशत्पञ्चविंशतिपञ्चदशदशत्रिपञ्चोनैकनरकशतसहस्राणि पञ्च चैव यथाक्रमम्॥2॥
सूत्रार्थ - उन भूमियों में क्रम से तीस लाख, पच्चीस लाख, पन्द्रह लाख, दस लाख, तीन लाख, पाँच कम एक लाख और पाँच नरक हैं ।। 211
निवास
J.
एकेन्द्रिय,
नारकी,
भवनवासी,
व्यंतर देव
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