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को यह रचना बहुत पसंद आयेगी, क्योंकि रेखाचित्र एवं तालिकाओं के माध्यम से समझना-समझाना आज इस वैज्ञानिक युग की भाषा बन चुकी है। - कुमुदचन्द सोनी * डॉ. उत्तमचन्दजी जैन, सेवा नि. प्राचार्य नेहरु वार्ड, सिवनी (म.प्र.)
“तत्त्वार्थसूत्र(रेखाचित्र एवं तालिकाओं में ) " एक नवोदित पुस्तक प्राप्त हुई। पुस्तक का बाह्यभाग (गेट अप ) एकदम नया, आकर्षक, तालिकामय प्रतीत हुआ। मैंने उक्त पुस्तक ध्यानपूर्वक आद्योपान्त पढ़ी एवं पाया कि तत्त्वार्थसूत्र की क्लिष्ट विषय-वस्तु नवीन पीढ़ी के लिए सरल, सुगम एवं सहजग्राह्य बनाने में आपका प्रयास पूर्णतः सफल रहा है। आपका प्रयास आपकी तत्त्वरसिकता, तत्त्वपिपासा एवं तत्त्वप्रेम को व्यक्त करता है।
विभिन्न रेखचित्रों एवं तालिकाओं द्वारा सूत्र का अभिप्राय एवं अर्थ एक नजर में ज्ञात होता है। तत्त्वज्ञान के प्रचार प्रसार हेतु आपका अभिनव प्रयास सराहनीय है। इस कार्य हेतु हमारी आपके लिए शुभकामनाएँ हैं। आपकी रुचि उत्तरोत्तर जिनागम के गूढ़तम-आत्मकल्याणकारी रहस्यों को जानकर स्व-पर हित में लगी रहे - यही भावना है।
- उत्तमचन्द जैन
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