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नवम अध्याय
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ज्ञानावरणे प्रज्ञाज्ञाने।।13।। सूत्रार्थ - ज्ञानावरण के सद्भाव में प्रज्ञा और अज्ञान परीषह होते हैं।।13।।
- दर्शनमोहान्तराययोरदर्शनालाभौ।।14।। सूत्रार्थ - दर्शनमोह और अन्तराय के सद्भाव में क्रम से अदर्शन और अलाभ ___ परीषह होते हैं।।14॥ चारित्रमोहे नाग्न्यारतिस्त्रीनिषद्याक्रोशयाचनासत्कार
पुरस्काराः।।15॥ सूत्रार्थ - चारित्रमोह के सद्भाव में नाग्न्य, अरति, स्त्री, निषद्या, आक्रोश; याचना ___ और सत्कार-पुरस्कार परीषह होते हैं।।15।।
वेदनीये शेषाः।।16॥ सूत्रार्थ - बाकी के सब परीषह वेदनीय के सद्भाव में होते हैं।।16।। किस कर्म के उदय से कौन-सा परीषह
होता है
*प्रज्ञा
*अज्ञान
ज्ञानावरण(2) अंतराय(1) वर्शन(1) चारित्र (1) वेदनीय(11)
मोहनीय मोहनीय * अलाभ * अदर्शन .* नग्नता * क्षुधा
* अरति * तृषा * स्त्री * शीत *निषद्या * उष्ण * आक्रोश *दंशमशक *याचना * सत्कार- * शय्या पुरस्कार *वध
* रोग * तृणस्पर्श * मल .
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