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182.
अष्टम अध्याय
घातिया कर्म
सर्वघाति (जो अनुजीवी गुणों देशघाति (जो अनुजीवी गुणों
" को पूरे तौर से घाते) 140) को एकदेश घाते)
ज्ञानावरण(1) दर्शनावरण(6) मोहनीय(14) * केवलज्ञानावरण * केवलदर्शनावरण * मिथ्यात्व ।।
* 5 निद्राएँ * मिश्र
*12 कषाय
ज्ञानावरण(4) वर्शनावरण(3) मोहनीय(14) अंतराय(5) * केवलज्ञाना- * चक्षुदर्शनावरण * सम्यक्त्व प्रकृति
वरण के * अचक्षुदर्शनावरण * 4 संज्वलन कषाय अलावा * अवधिदर्शनावरण * 9 चोकषाय शेष चार
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