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४८० ] उत्तराध्ययन-सूत्र : एक परिशीलन अपने दृढ संयम का परिचय दिया। अन्त में पुत्र को राज्य सौंपकर जिन-दीक्षा ली और मोक्ष प्राप्त किया। नलकबर : . लीला-विलास में प्रसिद्ध देव-विशेष । पालित वणिक :3 . यह चम्पा नगरी में रहने वाला भगवान् महावीर का शिष्य था। एक बार जब यह पिहुण्डनगर व्यापार करने गया तो वहाँ के किसी सेठ ने इसे अपनी कन्या विवाह दी थी। उससे इसे एक पुत्र हुआ जिसका नाम 'समुद्रपाल' रखा गया। पार्श्वनाथ :
ये तेईसवें तीर्थङ्कर व ऐतिहासिक महापुरुष हैं। इनका समय महावीर से २५० वर्ष पहले ई० पूर्व ८वीं शताब्दी माना जाता है। इनका धर्म चतुर्याम और सान्तरोत्तर था। 'केशि' इनका शिष्य था। प्रभूतधनसंचय : .. ये कौशाम्बी में रहते थे । अनाथी मुनि इनके ही पुत्र थे। ब्रह्मदत्त चक्रवर्ती :६
यह पांचाल देश का राजा था। यह चित्त मुनि के पूर्व भव का भाई संभूत था जो पांच भवों तक अपने भाई चित्त के साथ-साथ १. विदेहदेश में दो नमि राजा हुए हैं। उनमें से एक २१ वें तीर्थङ्कर हुए
हैं और दूसरे प्रत्येकबुद्ध । यहाँ जो नमि राजा का उल्लेख है वे प्रत्येकबुद्ध हैं, तीर्थङ्कर नहीं।
देखिए-आचार्य तुलसी, उ० भाग १, पृ० १०७. २. उ० २२.४१. ३. उ० २१.१-४. ४. उ० २३.१, १२, २३, २६. ५. उ० २०. १८.
प्रभूतधनसञ्चय नाम है या विशेषण इस विषय में मतभेद है। मालूम पड़ता है कि इनके पुत्र 'अनाथी' की तरह ही इनका भी नाम
बहुत धन सञ्चय करने के कारण प्रभूतधनसञ्चय पड़ गया हो । ६. देखिए-चित्त-संभूत संवाद, परि० १.
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