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___5. काल- वस्तु के रहने की मर्यादा को काल कहते हैं।
6. अन्तर- वस्तु के विरह काल को अन्तर कहते हैं अर्थात् वस्तु की एक पर्याय नष्ट होने पर पुन: उसकी व्युत्पत्ति में जो काल व्यवधान पड़ता है उसे अन्तर कहते हैं।
7. भाव- वस्तु के गुणों को भाव कहते हैं जैसे औपशमिकादि भाव।
8. अल्पबहुत्व- एक वस्तु की अपेक्षा अन्य वस्तु की हीनाधिकता को अल्पबहुत्व कहते हैं।
सम्यग्ज्ञान का वर्णन, ज्ञान के भेद और नाम मतिश्रुतावधिमनःपर्यय केवलानिज्ञानम्। (9).. .
Righ knowledge (is of five kinds)- .
मति Sensitive knowledge. Knowledge of the self and the non-self
by means of the senses and mind.
A Scriptural knowledge. Knowledge derived from the reading or
preaching of scriptures, or through an object known by sensitive knowledge.
मतिज्ञान, श्रुतज्ञान, अवधि ज्ञान, मन:पर्ययज्ञान और केवलज्ञान ये पाँच ज्ञान
- गोम्मट्टसार जीवकाण्ड के ज्ञानमार्गणाधिकार में ज्ञान का वर्णन करते हुए कहा भी है
पंचेव होंति णाणा, मदिसुदओहीमणं च केवलयं। खयउवसमिया चउरो, केवलणाणंहवेखइयं॥
(गा.300) सम्यग्ज्ञान पाँच ही हैं। इनमें से आदि के चार ज्ञान जो क्षायोपशमिक हैं वे अपने-अपने प्रतिपक्षी मतिज्ञानावरणादि कर्मों के क्षयोपशम से होते हैं। सर्वघातिस्पर्धकों का उदयाभावी क्षय, सदवस्थारूप उपशम और देशघाति का
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