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________________ जैसे इस लोक में शुद्ध स्वर्ण के, बाजूवन्द (रूप) पर्याय से उत्पाद देखा जाता है, पूर्व अवस्था रूप से वर्तनेवाली अंगूठी इत्यादि पर्याय से विनाश : देखा जाता है और पीलापना आदि पर्याय से तो दोनों में (बाजूवन्द और अंगूठी में) उत्पत्ति विनाश को प्राप्त न होने वाले (सुवर्ण) ध्रौव्यत्व दिखाई देता है। . इसी प्रकार सर्व द्रव्यों के किसी पर्याय से उत्पाद, किसी (पर्याय) से विनाश (और) किसी पर्याय से ध्रौव्य होता है। ऐसा जानना चाहिए। अपरिच्चत्त सहावेणुप्पादव्वयधुवत्तसंबद्धं । गुणवं च सपज्जायं जं तं दव्वं ति वुच्चंति ॥5॥ स्वभाव को छोड़े बिना जो उत्पाद-व्यय-ध्रौव्य संयुक्त है तथा गुणयुक्त और पर्याय सहित है 'द्रव्य' ऐसा कहते हैं। यहाँ (इस विश्व में) वास्तव में जो, स्वभाव भेद किये बिना उत्पाद व्यय ध्रौव्य त्रय से और गुण, पर्याय द्वय से लक्षित होता है। इनमें से (स्वभाव, उत्पाद, व्यय, ध्रौव्य, गुण और पर्याय में से) वास्तव में द्रव्य का स्वभाव अस्तित्व सामान्यरूप अन्वय है, अस्तित्व को तो दो प्रकार का आगे कहेंगे-1. स्वरूप अस्तित्व, 2. सादृश्य अस्तित्व। उत्पाद, प्रादुर्भाव (प्रगट होना-उत्पन्न होना) है, व्यय प्रच्युति (नष्ट होना) है, ध्रौव्य, अवस्थिति (टिकना) है। गुण, विस्तार विशेष हैं। वे सामान्य-विशेषात्मक होने से दो प्रकार के हैं। इनमें, अस्तित्व, नास्तित्व, एकत्व, अन्यत्व, पर्यायत्व, सर्वगतत्व, असर्वगतत्व, भोक्तृत्व, अगुरूलघुत्व इत्यादि सामान्य गुण है। अवगाह-हेतुत्व, गतिनिमित्तता, स्थितिकारणत्व, वर्तनायतनत्व, रूपादिमत्व, चेतनत्व इत्यादि विशेष गुण हैं। पर्याय आयत, विशेष है। द्रव्य का उन उत्पादादि के साथ अथवा गुण पर्यायों के साथ लक्ष्य लक्षण भेद होने पर भी स्वरूप भेद नहीं है (सत्ता भेद नहीं है) स्वरूप से ही द्रव्य वैसा होने से (अर्थात् द्रव्य ही स्वयं उत्पादादिरूप तथा गुणपर्याय रूप परिणमन करता है, इस कारण स्वरूप भेद नहीं है।) सदवट्ठिदं सहावे दव्वं दव्वस्स जो हि परिणामो। अत्थेसु सो सहावो ठिदिसंभवणाससंबद्धो ।।99।। स्वभाव में अवस्थित सत् द्रव्य है, द्रव्य का गुण-पर्यायों में जो उत्पादव्यय 376 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004251
Book TitleSwatantrata ke Sutra Mokshshastra Tattvartha Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanaknandi Acharya
PublisherDharmdarshan Vigyan Shodh Prakashan
Publication Year1992
Total Pages674
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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