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________________ सिहंगयवसहजडिलस्सायारसुरा वहंति पुव्वादि। इदुरवीणं सोलससहस्समद्धद्धमिदरतिये॥ (त्रिलोकसार) (343) सिंह, हाथी, बैल और जटायुक्त घोडे के रूप को धारण करने वाले 16-16 हजार आभियोग्य देव चन्द्र और सूर्य के हैं। पूर्व दिशा के वाहन 4 हजार सिंह का रूप धारण करने वाले, दक्षिण दिशा के हाथी का रूप धारण करने वाले 4 हजार, पश्चिम दिशा के वाहन बैल का रूप धारण करने वाले 4 हजार एवं उत्तर दिशा के वाहन घोड़े का रूप धारण करने वाले आभियोग्य देव अपने-अपने विमान को ले जाते हैं। शेष ग्रह-नक्षत्र ताराओं के आधे-आधे परिमाण में विमानवाहन देव हैं, अर्थात् शुक्र, गुरू, बुध, शनि, मंगल ग्रहों के 8-8 हजार देव हैं। उनमें से 2000 सिंह, 2000 हाथी, 2000 बैल एवं 2000 घोड़े के रूप धारण करने वाले देव हैं। नक्षत्रों के 4000 हैं, उनमें से 1000 सिंह 1000 हाथी, 1000 बैल और 1000 घोड़े के रूप धारण करने वाले देव हैं। तारों के 2000 वाहन देव है उनमें से 500 सिंह, 500 हाथी, 500 बैल और 500 घोड़े के रूप धारण करने वाले हैं। भ्रमणशील ज्योतिष्क विमान की स्वाभाविक गति भी होती हैं। इस गति क्रिया से प्रेरित होकर भ्रमणशील . ज्योतिष्क विमान आकाश में भ्रमण करते रहते हैं। नक्षत्रों में उत्तर दिशा में अभिजित नक्षत्र का दक्षिण में मूला नक्षत्र का ऊर्ध्व में स्वाति का अधो में धरणी का तथा मध्य में कृतिका नक्षत्र का गमन होता है। क्षेत्रान्तर में प्राप्त होने वाले इन पांचों नक्षत्रों की ऐसी ही स्थिति ऐसी कोई दलील कर सकता है कि ज्योतिष्क देव गमन नहीं करते हैं, क्योंकि गमन करने का कोई कारण नहीं है। इसका उत्तर 'राजवार्तिक' ग्रथ में श्रीमद् भट्टाकलंक देव ने दिया है- 'गतिरताभियोग्य देववहनात् । गतिरताहि आभियोग्य देवा वहन्तीत्युक्तं पुरस्तात् अर्थात् गतिरत आभियोग्य जाति के वाहन देवों के द्वारा ज्योतिष्क देवों का गमन होता है। क्योंकि आभियोग्य देव गतिरत रहते हैं। एवं गतिरत होने के कारण वे ज्योतिष्क देवों के वाहन-वहन करके ले जाते हैं, जिसका पहले ही वर्णन किया गया है। 244 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004251
Book TitleSwatantrata ke Sutra Mokshshastra Tattvartha Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanaknandi Acharya
PublisherDharmdarshan Vigyan Shodh Prakashan
Publication Year1992
Total Pages674
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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