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योनियों के भेद सचित्तशीतसंवृताः सेतरा मिश्राश्चैकशस्तद्योनयः । (32) Living matter, cold, covered with their opposities, and the combination of each (pair) (are) their nuclei or birth places. sif nucleus the material environment in which the incarnating soul finds lodgment, is of 9 kinds:- (1) सचित्त of living matter. (2) अचित्त of matter only with no life. (3) सचित्ताचित्त of living and dead matter. (4) शीत Cold (5) उष्ण hot. (6) शीतोष्ण Where life is generated by the Co-existense of cold and heat. (7) संवृत्त Covered. (8) विवृत Exposed. (9) Hga faqa Part exposed and part covered. · सचित्त, शीत और संवृत्त तथा इनकी प्रतिपक्षभूत अचित्त, उष्ण और विवृत तथा मिश्र अर्थात् सचित्ताचित्त, शीतोष्ण और संवृत्तविवृत्त ये उसकी अर्थात् जन्म की योनियाँ हैं। ___संसारी जीव के योनिभूत स्थान या आधार को ‘योनि' कहते हैं। चित्त सहित योनि को सचित्त योनि कहते हैं। आत्मा के चैतन्य रूप विशेष परिणाम को चित्त कहते हैं। शीतल स्पर्श युक्त योनि को शीत योनि कहते हैं। भले प्रकार ढकी योनि को संवृत्त योनि कहते हैं। 'संवत' का अर्थ है जो देखने में न आये। उभयरूप योनि को मिश्र कहते हैं अर्थात् सचित्ताचित्त, शीतोष्ण, संवृत्त विवृत्त योनि कहते हैं।
योनि और जन्म में आधार अधेय दृष्टि से भेद है। ये सचित्त आदिक योनियाँ आधार हैं और जन्म के भेद आधेय हैं। क्योंकि सचित्त आदि योनिरूप आधार में संमूर्च्छन आदि जन्म के द्वारा आत्मा, शरीर, आहार और इन्द्रियों
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