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मनःसंवर की साधना के विविध पहलू ८६१ परन्तु जब तक मन को नियन्त्रित करने की दृढ़ श्रद्धा एवं इच्छा नहीं होगी, तब तक काम, क्रोध, मद, मत्सर, मोह आदि षड्रिपुओं से छुटकारा नहीं मिलेगा। ऐसी स्थिति में मनःसंवर की साधना धरी रह जाएगी, उलटे अशुभ आमवों और अनाचारों में प्रवृत्त होकर मनुष्य अपने मन को उन्मार्गगामी बना लेगा।' ... सांसारिक सुख-कामनाओं को परमात्मभक्ति या मुक्ति की ओर मोड़ दो
जब तक सुखों की वासना की दिशा संसार और उसके विषयों की ओर होगी, तब तक मनःसंवर दिवास्वप्न ही रहेगा, उलटे वह विषय वासना शत्रुवत् ही सिद्ध होंगी। किन्तु जब सांसारिक विषय-सुखों की कामना की परमात्मा या मुक्ति की ओर मोड़ दिया • जाता है, तो वह मनुष्य की सर्वश्रेष्ठ मित्र बन जाती है।
इस प्रकार जब वासनाएँ संस्कारित और पवित्र हो जाती हैं, तो वास्तव में वे वासनाएँ नहीं रह जातीं, वे आत्मभक्ति या परमात्मभक्ति का रूप ले लेती हैं। मनःसंवर का साधक जब क्रमशः आगे बढ़ जाता है, तब वह देह और आत्मा का भेदविज्ञान कर लेता है। फिर उसे शरीर और शरीर से सम्बन्धित सजीव निर्जीव नाशवान पदार्थ तथा अविनाशी आत्मा और आत्मगुणों का स्पष्टतः पृथक-पृथक ज्ञान-भान हो जाता है; तब ये सांसारिक वासनाएँ स्वतः शान्त हो जाती हैं। ... .. . धर्म-शुक्लध्यानमना साधक की इन बाह्य विषयों में रति अरति नहीं ___'आचारांग' में बताया गया है कि "जिस साधक का मन शुद्ध आत्मा या परमात्मा के ध्यान रूप धर्म-शुक्ल ध्यान में रत है, जिसे आत्मध्यान में ही आत्मरति, आमतृप्ति, या आत्मा में सन्तुष्टि तथा आत्मानन्द-प्राप्ति हो चुकी है, उसे इन बाब (विषयों में) अरति या रति (आनन्द) से क्या मतलब है? अर्थात्नष्ट वस्तु याविषय के प्राप्त न होने पा वियोग होने से मन में होने वाली अरति तथा इष्ट वस्तु या विषय की प्राप्ति होने या अनिष्ट का वियोग होने से मन में होने वाली रति से उसे कोई वास्ता नहीं रहता। फिर आध्यात्मिक जीवन में भी वह रति (ब) और अरति (शोक) के मूल राग और टेष का ग्रहण नहीं करता हुआ विचरण करता है। ......... - ऐसे साधक मन से न तो अतीत विषय-सुखों का स्मरण करते हैं, और न ही - अनागत विषय-सुखों की स्पृहा या चिन्ता करते है। वे इन्द्रियों और मन से
१. मन और उसका निग्रह से, भावांश ग्रहण पृ. १८ २. वही, पृ. १८-१९ ३. देखें-आचारांग सूत्र १/३/३ में "का अरती के आणद? एत्य वि अग्गहे चरे।" का विवेचन ___ पृ. १0८/११० (आगम प्रकाशन समिति व्यावर)
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