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________________ क्या कर्म महाशक्तिरूप है ? ४४३ बड़े-बड़े राजा केते, संकट सहे अनेक सोहन बखाना एक कर्म के प्रताप ते॥" एक वाक्य में कहें तो-'यह सब कर्मशक्ति के प्रकोप का परिणाम है। वस्तुतः कर्मशक्ति का प्रकोप बड़ा ही भयंकर होता है। उसके सामने किसी का वश नहीं चलता। संसार की बड़ी से बड़ी शक्ति को भी उसके आगे नतमस्तक होना पड़ता है।' कर्मशक्ति का प्रकोप कितना भयकर? ___ यह कर्मों की शक्ति का ही प्रकोप था कि सगर चक्रवर्ती को एक साथ अपने ६० हजार पुत्रों के मरणजन्य वियोग का कष्ट भोगना पड़ा। छह खण्ड के अधिपति सनत्कुमार चक्रवर्ती को १६ महा भयंकर रोगों का शिकार होना पड़ा। जिस राजाधिराज के समक्ष ३२000 मुकुटबद्ध राजा मस्तक झुकाया करते थे, हजारों देव जिनकी सेवा किया करते थे; उनकी कंचन-सी काया को कोढ़ सरीखे दुःखद रोगों ने धर दबोचा। मर्यादा-पुरुषोत्तम भगवान् राम को राज्याभिषेक के स्थान पर वनवास मिला। वे १४ वर्ष तक वन-वन की खाक छानते रहे। पूर्वकृत घोर कर्म के फलस्वरूप दशरथ का देहान्त तुलसी रामायण के अनुसार राजा दशरथ मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान् राम के पिता थे। परन्तु तालाब से पानी भरते हुए श्रवण कुमार को वन्यपशु समझकर अनजाने में तीर छोड़ा, जिससे श्रवण कुमार की जीवनलीला समाप्त हो गई। श्रवण कुमार के माता-पिता को जब अपने पुत्र के मरणजन्य वियोग का पता चला तो उनकी अन्तरात्मा अत्यन्त दुःखित हुई। अनजाने में हुए उस घोर कर्म के फलस्वरूप राजा दशरथ की मृत्यु अपने ज्येष्ठ-पुत्र श्री राम के विरह में हुई। श्री कृष्ण पर जन्म से लेकर मृत्यु तक कर्मों की काली छाया त्रिखण्डाधिपति कर्मयोगी श्रीकृष्ण वासुदेव भौतिक दृष्टि से सब प्रकार से समृद्ध थे। परन्तु उन्हें भी पूर्वकृत कर्म के फलस्वरूप बचपन में घोर कष्ट सहने पड़े थे। कंस के कारागार में प्रहरियों के कठोर पहरों में उनका जन्म हुआ। जन्म से पहले ही मौत मंडरा रही थी। फिर माता-पिता से दूर रहकर गोकुल में गोपालनायक नन्द और यशोदा के यहाँ बड़े हुए। १. ज्ञान का अमृत (पं. ज्ञानमुनि जी) से उद्धृत पृ. ११६-११७ २. वही, पृ. ११५ से संक्षिप्त ३. रामचरित मानस से। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004242
Book TitleKarm Vignan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1990
Total Pages644
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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