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३१२ कर्म-विज्ञान : कर्मवाद का ऐतिहासिक पर्यालोचन (२)
बाज भी घायल होकर जमीन पर गिर पड़ा। कोयल यह सुअवसर देखकर वहाँ से उड़ गई। इस प्रकार चारों ओर के संयोग प्रतिकूल थे, फिर भी बचना हो, तब भवितव्यता (नियति) के योग से बचा जा सकता है।
ब्रह्मदत्त चक्रवर्ती की सेवा में दो-दो हजार देव उपस्थित थे, फिर भी. भवितव्यता ऐसी थी कि एक गोपालक ने उसकी दोनों आँखें फोड़ डालीं। . इसलिए जो होना होता है, वह हुए बिना रहता नहीं। उसके न होने में आसपास के सहायक, संयोग एवं साधन बिल्कुल उपयोगी नहीं होते।
दो व्यक्ति एक ही रोग के रोगी हैं, दोनों का ऑपरेशन किया गया है, परन्तु उनमें से एक जी जाता है, और दूसरा सेप्टिक हो जाने से मरण-शरण हो जाता है। इसमें भी भवितव्यता (नियति) कारण है। हजारों प्रयत्न किये जाएँ, अनेक व्यक्तियों से सत्परामर्श, सहायता और सहानुभूति मिलने पर भी अन्त में जो होनहार होता है, वही होता है।
इसलिए काल, स्वभाव या कर्म आदि की अपेक्षा नियति बलवान् होती है। नियति के इस अर्थ के अनुसार संसार की प्रत्येक घटना पहले से ही नियत है। उसमें प्राणी का इच्छा - स्वातंत्र्य कुछ भी कर धर नहीं सकता। पाश्चात्य दार्शनिक 'स्पिनोजा' इसी वाद का समर्थक था । उसका मन्तव्य था कि व्यक्ति अपनी अज्ञानतावश सोचता है कि मैं भविष्य को परिवर्तित कर सकूँगा। परन्तु भविष्य पहले से ही उसी प्रकार सुनिश्चित (नियत) एवं अपरिवर्तनीय है, जिस प्रकार अतीत। अतः जो कुछ होना होगा, वह अवश्य होगा, उसके लिए चिन्ता करने, डरने या आशा लगाए बैठना व्यर्थ है।" इसी प्रकार अच्छा होने पर किसी की प्रशंसा करना या बुरा होने पर किसी की निन्दा करना अथवा उस पर दोषारोपण करना भी व्यर्थ है । नियति ही ऐसी थी, इसलिए ऐसा हुआ ।
नियति का दूसरा अर्थ हैं - इस जड़-चेतनमय विश्व में प्रकृति के अटल नियम । इस अर्थ के अनुसार जगत् के सभी कार्य नियति के अधीन होते हैं। कोयल काली क्यों है ? खरगोश और बगुला सफेद क्यों ? अग्नि की लपटें ऊपर क्यों उठती हैं, नीचे क्यों नहीं जातीं ? गाय, बैल आदि पशुओं के चार और मनुष्यों के दो पैर ही क्यों ? पक्षी गगन में उड़ सकते हैं, गधे घोड़े क्यों नहीं ? कमल जल में ही क्यों पैदा होता है, स्थल पर क्यों
१. नीतिकार कहते हैं - यद् भावि न तदभावि, भावि चेन्न तदन्यथा । इति चिन्ता विषघ्नोऽयमगदः किं न पीयते ?
. - हितोपदेश २. इस अर्थ का उल्लेख जैनत्व की झांकी, कर्मग्रन्थ भा. १ (प्रस्तावना) आदि में हुआ
है।
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