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कर्मवाद के समुत्थान की ऐतिहासिक समीक्षा २७७
युक्ति - तर्क संगत स्पष्ट और व्यवस्थित विश्लेषण नहीं किया गया। इस तथ्य से इन्कार नहीं किया जा सकता कि कर्म क्या है ? वह कितने प्रकार का है ? कर्म किस प्रकार से बंधते हैं और कौन - सा कर्म किस प्रकार का फल देता है ? कर्मों का फल जीव कैसे और कब भोगता है ? क्या शुभकर्म को अशुभ में और अशुभ कर्म को शुभ में बदला जा सकता है ? या फल देने की अवधि से पहले ही फल भोगा जा सकता है ? कर्मों का बन्ध किस प्रकार, कितने और कितनी मात्रा में, किस अनुपात में होता है ? कर्मों से प्राणी अंशतः और सर्वांशतः कैसे मुक्त हो सकता है ? किस कर्म का क्षय करने का क्या उपाय है ?
इन और इनसे सम्बन्धित जिज्ञासाओं का समाधान वैदिक संहिताओं में नहीं है। वहाँ मुख्यरूप से यज्ञ या वेदविहित अनुष्ठान या कर्मकाण्ड को ही कर्म माना गया है और पद-पद पर उन कामनामूलक कर्मों की सफलता के लिए विविध देवों से याचना की गई है। इससे यह स्पष्ट है कि वहाँ विविध कर्मों में रचे-पचे रहने का ही उल्लेख है। अधिक से अधिक हुआ तो यज्ञों और देवों की पूजा - प्रार्थना से उन कर्मों पर शुभ की मुहरछाप लगवाकर स्वर्ग प्राप्त करने का अवश्य विधान है, किन्तु कर्मों का क्षय करने की, तथा कुर्मों से आंशिकरूप से या सर्वांशतः मुक्त होने का विधान वहाँ बिल्कुल नहीं है। मोक्ष की - कर्मों से सर्वथा मुक्ति की वहाँ चर्चा ही नहीं है । कर्मकाण्डी मीमांसकों की दौड़ तो स्वर्गलोक तक ही है, उससे आगे नहीं।
यह हुई कर्मवाद के समुत्थान की वैदिक दृष्टि से ऐतिहासिक समीक्षा | ऐतिहासिक दृष्टि से कर्मवाद के विकास पर चिन्तन करते समय हमें वेदकालीन कर्मसम्बन्धी विचारों पर इतना चिन्तन करना आवश्यक था; क्योंकि उपलब्ध साहित्य में वेद सबसे प्राचीन माना जाता है। वैदिक की अपेक्षा जैनपरम्परा में कर्मवाद का सांगोपांग विकास
· दोनों परम्पराओं की दृष्टि से जब हम कर्मवाद के समुत्थान एवं विकास की ऐतिहासिक समीक्षा करते हैं तो हमारे समक्ष यह बात स्पष्ट हो जाती है, कि जैन-दर्शन के कर्मतत्त्व - मर्मज्ञों ने कर्मवाद का जितना समुत्थान एवं विकास किया है, उतना वैदिक मनीषियों ने नहीं । जैनकर्मशास्त्रियों ने कर्मतत्त्व का सांगोपांग चिन्तन मनन एवं विश्लेषण किया है। उनका ध्यान कर्मवाद के प्रत्येक पहलू पर गया है। साथ ही उन्होंने कर्मवाद के सम्बन्ध में लोकमानस में उठती हुई शंकाओं का बहुत ही सुन्दर ढंग से युक्तियुक्त समाधान किया है, युगसमस्याओं का भी
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