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मेरे लेखन कार्य में परम आशीर्वाद स्वरूप पूज्य गुरुदेव उपाध्याय श्री पुष्कर मुनि जी म. का आशीर्वाद उसी प्रकार सहायक रहा है, जिस प्रकार ज्योति को प्रज्वलित होने में स्नेह (तेल) । मैं गुरुदेव के परम करुणा, वत्सलतामय आशीर्वाद का चिरकृतज्ञ रहूँगा।
परमस्नेही सन्त मानस मनीषी मुनि श्री नेमीचंद जी का सौजन्यपूर्ण सहयोग सदा उत्साहवर्धक रहा है। मेरे द्वारा लिखित निबंधों को उन्होंने बड़ी सूक्ष्म दृष्टि से संशोधित/संपादित कर एक स्नेहपूर्ण समर्पण तथा आत्मीय भाव का परिचय दिया है, जो चिरस्मरणीय रहेगा।
प्रतिभामूर्ति ज्येष्ठ भगिनी महासती पुष्पवती जी म. की सतत सम्प्रेरणा ने मुझे कर्मविज्ञान ग्रन्थ के लेखन में गतिशील रखा है। उनका स्मरण भी सहज ही हो जाता है। ___ मैं सभी सहयोगी सन्तों, विद्वानों, तथा ज्ञात-अज्ञात लेखकों आदि का भी आभारी हैं, जिनके सहयोग तथा स्वाध्याय से मैं इस ग्रन्य को अधिकाधिक रोचक, व्यापक और प्रामाणिक स्वरूप प्रदान कर सका। ___अन्त में मैं समाज के अग्रणी युवानेता सुश्रावक श्रीयुत जे.डी. जैन एवं उनकी विदुषी धर्मपत्नी श्रीमती विद्युत जैन की सांस्कृतिक, साहित्यिक सुरुचि का अभिनन्दन करता हूँ, जिन्होंने स्वतः की अन्तर प्रेरणा से इस ग्रन्थ के प्रकाशन में विशेष रुचि प्रकट की। उनके सौहार्द से यह ग्रन्थ जन-जन के हाथों में शीघ्र पहुँच सका।........
उपाचार्य देवेन्द्रमुनि
महावीर भवन सादड़ी।
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