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गाथा नग्न मुद्रा से ईर्ष्या रखने वाला मिथ्यादृष्टि है गौरव करने वाले सम्यक्त्व से भ्रष्ट हैं
२५ असंयमी की वन्दना नहीं करना चाहिये गुणहीन वन्दना के योग्य नहीं है वन्दनीय पुरुषों के गुणों का वर्णन
२८-२९ मोक्ष का कारण क्या है ?
३० सम्यग्दर्शनादित्रिक निर्वाण के साधन हैं । चार आराधनाएं मोक्ष का कारण है सम्यक्त्व की महिमा
'३३-३४ स्थावर प्रतिमा क्या है जिनेन्द्र के १००८ लक्षण तथा अतिशयों आदि का वर्णन निर्वाण को कौन प्राप्त होते हैं ?
चारित पाहु मङ्गलाचरण और ग्रन्थ प्रतिज्ञा दर्शन, ज्ञान और चारित्र जीव के अविनाशी भाव है ३ ज्ञान दर्शन, और चारित्र के लक्षण चारित्र के दो भेद-सम्यक्त्वाचरण और संयमाचरण सम्यक्त्वाचरण का वर्णन जिन सम्यक्त्व के आराधक की पहिचान १०-११ जिन सम्यक्त्व को कौन छोड़ता है ?
१२ जिन सम्यक्त्व को कौन नहीं छोड़ता है ? अज्ञान तथा मिथ्यात्व आदि को छोड़ने का उपदेश विशुद्ध ध्यान कब होता है बन्ध को कौन प्राप्त होते हैं। अरित्र सम्बन्धी दोषों को कौन छोड़ता है ? ये तीनों भाव किसके होते हैं ? संस्खातगुणी और असंख्यातगुणी निर्जरा के दृष्टान्त संघमाचरण का वर्णन, उसके दो भेद, सागार और
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