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________________ १५८ षट्प्राभूते [४.११आगे जङ्गम प्रतिमा का वर्णन करते हैंजं चरदि सुद्धचरणं जाणइ पिच्छेइ सुद्धसम्मत्तं । सा होइ वंदणीया णिग्गंथा संजदा पडिमा ॥११॥ यश्चरति शुद्धचरणं जानाति पश्यति शुद्धसम्यक्त्वम् । सा भवति वन्दनीया निर्ग्रन्था सांयता प्रतिमा ॥११॥ (जं चरदि सुद्धचरणं ) यो मुनिश्चरति प्रतिपालयति । किम् ? शुद्धचरणं . निरतिचार-चारित्रम् । ( जाणइ पिच्छेहे सुद्धसम्मत्तं ) जिनश्रुतं जानाति स्वयोग्यं वस्तु पश्यति च । शुद्ध पञ्चविंशति-दोष-रहितं यस्य सूरेः सम्यक्त्वं भवति । ( सा होइ वंदणीया ) सा भवति वन्दनीया नमस्करणीवा । ( णिग्गंथा संजदा पडिमा ) निन्था चतुर्विंशति-परिग्रह-रहिता संयतानां मुनीनां दिसम्बराणां प्रतिमा आकारः, जंगमा प्रतिमा मुनयो भवन्तीत्यर्थः ॥११॥ mmmmmmmmmmmmwwwwww गाथार्थ-जो निरतिचार चारित्र का पालन करते हैं, जिनश्रुत को जानते हैं, अपने योग्य वस्तुको देखते हैं, तथा जिनका सम्यक्त्व शुद्ध है, ऐसे मुनियोंका निन्थ शरीर जंगम प्रतिमा है। वह वन्दना करनेके योग्य है ॥११॥ विशेषार्थ-जो चरणानुयोग के अनुसार शुद्ध निरतिचार चारित्रका पालन करते हैं । जो जिनेन्द्र-प्रणीत शास्त्र-जिनागम को जानते हैं, अपने योग्य वस्तुको देखते हैं और जिनका सम्यक्त्व पच्चीस दोषों से रहित है, ऐसे संयमी मुनियों के चौबीस प्रकार के परिग्रह से रहित जो शरीर हैं वे जंगम-चलती फिरतो प्रतिमा है । तथा वन्दना-नमस्कार करने के योग्य है ।।११॥ स्वरूप है, जाकै काहू वस्तु सौं रागद्वेष मोह नाही, जिनमार्ग विर्षे ऐसी प्रतिमा कही है। दर्शन ज्ञान कर निर्मल चारित्र जिनके पाइये ऐसे मुनिनि की गुरु शिष्य अपेक्षा अपनी तथा पर की चालती देह निम्रन्थ वीतराग मुद्रा स्वरूप है सो जिनमार्ग विष प्रतिमा है, अन्य कल्पित है। अर धातु-पाषाण आदि करि दिगम्बर मुद्रा स्वरूप प्रतिमा कहिये सो व्यवहार है सो भी बाह्य प्रकृति ऐसी ही होय सो व्यवहार में मान्य है ॥१०॥ १. शङ्का आदि आठ दोष, आठ मद, छह अनायतन और तीन मूढताएं ये सम्यग्दर्शन के २५ दोष हैं। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004241
Book TitleAshtpahud
Original Sutra AuthorKundkundacharya
AuthorShrutsagarsuri, Pannalal Sahityacharya
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year2004
Total Pages766
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Sermon, Principle, & Religion
File Size13 MB
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