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________________ चंदौवा पुंठीया, तोरण आदि 15. चामर पूजा 16. छत्र पूजा 17. वाजित्र पूजा 18. गीत पूजा 19. नाटक पूजा नृत्य आदि करना 20. स्तुति पूजा 21. भंडार वर्धन पूजा । श्राद्धविधि प्रकरण: धर्म संग्रह में वासक्षेप पूजा के स्थान पर 'माला पूजा' का कथन किया है, शेष प्रकार समान है । प्र. 271 अष्टोपचारी उ. 68 पूजा के स्थान बताइये । जल पूजा, चंदन पूजा व पुष्प पूजा - ये तीनों पूजाएं जिन बिम्ब पर की जाती है I धूप पूजा व दीपक पूजा - जिन बिम्ब के आगे. गर्भ गृह के बाहर की जाती है । . अक्षत पूजा, , नैवेद्य जाती है। प्र. 272 सम्बोध प्रकरण देवाधिकार में पूजा के कितने प्रकार बताये है ! उ. "सयमाण यणे पढ़मा, बीआ आणा वणेण अन्नेहिं, - 17 तइआ मणसा संपा - डणेण वर पुप्फ माईण ॥ मन, वचन और काया के व्यापार से तीन प्रकार की पूजा की जाती है। 1. मन पूजा मन से परमात्मा से को पुष्पादि चढाना मन पूजा है। 2. वचन पूजा - दूसरों से पूजन सामग्री मंगवाना, वचन पूजा है। 3. काय पूजा - श्रेष्ठ पुष्पादि पूजा सामग्री स्वयं लाना, काय पूजा प्र. 273 त्रिकाल जिन पूजन का समय बताइये । है। उ. सुबह में पूजा सूर्योदय के पश्चात् । दुपहर में पूजा दिन के मध्य भाग में । 1. 2. Jain Education International पूजा व फल पूजा - रंग मंडप में बाजोठ पर की - - For Personal & Private Use Only चतुर्थ पूजा त्रिक www.jainelibrary.org
SR No.004240
Book TitleChaityavandan Bhashya Prashnottari
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVignanjanashreeji
PublisherJinkantisagarsuri Smarak Trust
Publication Year2013
Total Pages462
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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